Wednesday 15 August 2012


तड़पती माँ

मेरा नाम सुनीता है . मेरे उम्र करीब ३८ साल के है | मेरे पति का देहांत वर्ष पहले हो गया अब में अपने दो लडको के साथ रहती हूँ | घर चलने के लिया मैंने एक जगह नौकरी कर ली | मेरे दोनों बच्चे स्कूल में पढ़ रहे हैं , एक का नाम है रमेश उम्र १२ साल और बड़ा वाला सुरेश उम्र १४ साल |
दिखने में में एक साधारण औरत हूँ , फिगर ३६ - ३२ - ३४ , जैसे की दो बच्चो के माँ का होना चायेया |
बचपन से हे में बड़ी ठरकी किस्म के लडकी थी | मुझे गन्दी और सेक्सी बातो करने में बड़ा मज़ा आता था | कभी कभी में चुपके से अपने चाचा चची के कमरे में रात को झांकती थी जब वो दोनों रात को चुदाई करते थे | फिर मेरे शादी एक अधेड़ उम्र के व्यापारी से हो गयी | क्युकी वो अधेड़ उम्र का था इसलेय ज़ाहिर है उसमे वो जोश और ताकत नहीं थी जिसके में हमेशा अपने पति में देखने के कोशिश करती थी | मेरे पति का अंग करीब इंच का छोटा और पतला था | वो हमेशा - झटके दे कर के वीर्य गिरा देते थे | १४ साल तक में हमेशा प्यासी हे सोयी | अब जब मेरे पति का देहांत हो गया है तो अब वो सहारा बी गया | आजकल हर रात मेरा बुरा हाल रहता है , मेरा हाथ साडी के अंडर हे घुसा रहता है | और रात को रह रह के में अपनी योनी हाथ से रगडती रहती हूँ |
रोज़ के तरह मैंने अपने लडको के लिया सुबह नाश्ता बनाया और उन्हें स्कूल के लिया रवाना क्या फिर में अपनी खिड़की पर बैठी कुछ सोच रहे थी , तभी मैंने निचे देखा के सड़क पर एक गन्दी से कुतिया भाग रहे है , उसके बड़े बड़े चुचिया इधर उधर झूल रहे हैं और उसके पीछे कई सारे कुत्ते भाग रहे हैं | एक कुत्ता तेज़ी से निकल कर उस कुतिया के पास पुच गया और एक झटके से के उसकी पीछे अपनी दो टांगो पर खड़ा होकर अपनी आगे वाली दो टाँगे उस कुतिया के पेट पर कस ली | फिर वो कुत्ता तेज़ी से अपनी कमर आगे पीछे चलने लगा और मैंने देखा के उसके टांगो के बीच में कुछ लाल लाल अंग कुतिया के यावनी के अंडर बहार जा रहा है | कुतिया बहुत बिल बिला रहे थी क्युकी कुत्ते ने कस के पकड़ रखा था तो वो भाग बी नहीं पा रहे थी | इतने देर में बाकी कुत्ते बी पुच गए और उन दोनों को चारो तरफ से घेर लिया | उनके टांगो के बीच बी उनका लाल उनग झूलने लगा | पहले कुत्ते ने उस कुतिया को करीब मं तक छोड़ा | फिर जैसे ही वो कुतिया के ऊपर से उतरा , दुसरे कुत्ते ने जगह ले ली | कुतिया का बुरा हाल था | चारो कुत्तो ने बारी बारी उसे जम के चोव्दा | यह सब देख के मेरे मनन में उस कुतिया के प्रति ईशा होने लगी | मैंने सोचा के देखो मेरे जैसे सेक्सी औरत को चाव्दने के लिया कोई मर्द नहीं है और इस गन्दी कुतिया के पीछे कितने कुत्ते पड़े हैं |
कुछ देर बाद में निचे आके अपने दरवाज़े पर झाड़ू लगा रहे थी , तभी मैंने देखा के उनमे से एक कुत्ता हमरे घर के पास वाले कूड़ेदान के पास अपने खाने के चीज़े जूता रहा है | उसके टांगो के बीच अभी बी उसका लाल लुंड लटका हुआ था | में जल्दी से भाग के अंडर गयी और एक रोटी का टुकड़ा लेके आगयी| रोटी दिखा के मैंने उस कुत्ते को पुचकारते हुए अंडर बुला लिया और दरवाज़ा बंद कर देय |
फिर मैंने उसके साने - रोटिय दाल दे | वो रोटी काने में लग गया , फिर में उसके साइड में जाके बैठ गयी और उसके लटके हुए लुंड को निहारने लगी | दिखने में वो गाजर के तरह लाल था , आगे से नुकीला करीब इंच लम्बा और इंच मोटा होगा | गिला होने के वजह से वो बहुत चमक रहा था और उसकी नोक से कुछ सफ़ेद बूंदे बी टपक रहे थी , शयेद वो उसका वीर्य था | मेरा उस लुंड को देख कर बहुत मनन करने लगा , में तड़पने लगी और साड़ी के अंडर हाथ दाल के अपनी योनी को रगड़ने लगी | कुछ देर में उसने रोटी खा ली , तो में उसके लिया और रोटी लेके आये , उसके सामने मैंने रोटी डालने के लिया हाथ भादय तो वो रोटी चोर के मेरे उन्ग्लेयो को चाटने लगा | मुझे समझ में नहीं आया क्यों | फिर वो रोटी भी खा ली तो मैंने दरवाज़ा खोल के उसे जाने देय | रात को अपने बिस्तर पे में वो कुतोया वाला सीन सोच के तड़पने लगी और अपनी यावनी को कस कास के रगड़ने लेगी , एक हाथ से अपने सतनो को मसलने लगी | वो सोचते सोचते मुझे एकदम से उस कुत्ते का लाल लाल लटकता हुआ अंग दिखा और में तुरंत सखलित हो गयी |
फिर मुझे समझ में आया के वो कुत्ता रोटी चोर के मेरे उंगलिया क्यों चाट रहा था | क्युकी उन्ही उंगलिया से मैंने अपने यावनी रगड़ी थी , तो उसका रस उस पर लग गया होगा | उसको एक मादा के गंध मिल गए होगी | इसका मतलब दुनिया में कोई बी नर किसी बी मादा पर आकर्षित हो सकता है भलेही वो जानवर हो या इंसान | अगर यह सच है तो फिर में एक कुत्ते के साथ बी सम्भोग कर सकती हों | और क्यों नहीं जब वो उस गन्दी कुतिया को छोड़ सकता है तो मुझे क्यों नहीं | यह सोचते सोचते में सू गयी |
दुसरे दिन में बच्चो को स्कूल भेजकर अपने दरवाज़े पर उसी कुत्ते का इंतज़ार करने लगी के शयेद वो दिख जाए | काफी इंतज़ार करने के बाद मुझे वो कुत्ता तो नहीं पर एक और कुत्ता नज़र आया | में रोटी के साथ तयेआर थी | मैंने उसे पुचकारा और वो झट अन्दर आगया |

"पुच पुच .. ...ले रोटी "
"उऊओ ओव्व ..अऊ अऊ .." करके वो रेती देखता हुआ मिमियाने लगा |
में झट रोटी उसके सामने फेक दी और अपनी कच्ची उतार के उसके मू पर लगा कर उसे अपने यावनी के महक देने लगी | पर वो मेरे कच्ची के तरह आकर्षित नहीं हुआ , बल्कि उसका पूरा ध्यान रोटी पर था |
मैंने सोचा शाएद ये भूका है | भूक से मुझे अचानक दिमाग में एक तरकीब सूझी | मैंने सोचा के अगर में इसे अपना स्तनपान कराओ तो शाएद यह मेरे तरफ आकर्षित होगा | मेरे स्तनों में कुछ महीने से दूध बन्ने लगा था | कई बार में नहाते वक़्त अपने दूध निचोर के उन्हें हल्का करती थी | पर - दिन से मैंने ऐसा नहीं क्या तो मेरे स्तन दूध से लबालब भरे हुआ थे | मेरे समझ में नहीं आरहा था के एक कुत्ते को में स्तन पण कैसे कराओ | डर था कही काट ना ले पर अपनी भूक मिटने के लिया मुझे यह जोखिम उठाना था | फिर मुझे याद आया के एक कुतिया अपने पिल्लो को कैसे दूध पिलाती है | में झट अपना बलाउस और ब्रा उतर के अपने तितर आज़ाद कर देय , और में कुत्ते के तरफ करवट लेके लेट गयी | मेरे बाया स्तन ज़मीन पर था और दया स्तन बाये के ऊपर किसी फल के तरह रखा हुआ थे | स्तनों पर दो मोटी - चुचिया निकली हुए थी |मैंने कुत्ते का धयन आकर्षित करने के लिया एक चूची को दबा के थोरा दूध निकाला और ज़मीन पे गिरने दीया| फिर कुत्ते को पुचकारते हुए उस गिर हुए दूध को चाटने के लिया बुलाने लगी |
"पुच पुक .. .. ..ले बेटा टू भूखा है ना..आजा दूध पे ले..."
एक दो बार पुचकारने पर वो पास आगया और मेरे खुले स्तनों को उपरसे सूघने लगा..फिर अचानक अपने लम्बी जीभ निकालने मेरे बाये स्तन को चाट लिया | इससे मेरे बदन में सिरहन दौड़ गयी , उसके जीभ गरम गीली और लम्बी होने के अलावा खुरदुरी बी थी जैसे जीभ पर नुकीले काटे लगे हो |
फिर उसके नज़र ज़मीन पर गिरे दूध पे पड़ी | वो उस दूध को चाटने में जुट गया | में अपने बाये स्तन के चूची उंगली में पकड़ के उसके खुले मू को निशाना लगाने का इंतज़ार कर्र रहे थी | ताकि उसको मालोम हो जाये के दूध का स्रोत क्या है | मुझे जैसे हे मौका मिला मैंने अपनी चूची कस के दबा दी |
दूध के एक तेज़ धार उसके जबड़े के अंडर तक चली गए | बस फिर क्या था वो धार को देखते हुए मेरे चूची तक पुच गया और अपनी गरम जीभ से मेरे निप्पल चाटने लगा | में सी सी करके बिलबिला रहे थी , कुत्ते को लगा के चाटने से शाएद दूध नहीं निकलेगा तो उसने मेरे निप्पल अपने दातो के बीच दबा ली |मुझे समझ में आगया के वो अब मेरा दूध पिने के लिया बैचैन है | में उसके सर पर हाथ फेरते हुए अपने दूध को और उसके जबड़ो के बीच घुसाने लगी क्युकी जब तक वो निप्पल के बड़े हिस्से को नहीं दबाएगा अपने दातो से तब तक दूध नहीं रिसेगा | कुछ जद्दोजेहेद के बाद स्तन का एक बड़ा हिस्सा =उसके जबड़ो के बीच आगया | अब उसे जैसे हे अपना जबड़ा मेरे स्तन पे कसा वैसे हे दूध की धार पे धार बह निकली | मुझे स्तन पे उसके डाट गाड़ते हुआ महसूस हो रहे थे | पर मैंने अपने स्तन पे बहुत डाट गद्वाए हैं इसलेय मुझे यह दर्द सहने के आदत से थी |
अब वो बड़ा कुत्ता एक पिल्ला बन के अपने पेट के बल बैठ गया था और हुमक हुमक कर मेरे स्तन को अपने जबड़े से दबा दबा के दूध पी रहा था , बीच बीच में वो अपने जीभ से मेरे नीपाल को चाट भी लेता | उसके खुरदुरे जीभ जब मेरे नाज़ुक निप्पल पे पड़ती तो मेरे जान निकल जाती | वो मेरे स्तन से करीब १५ मिनिट तक चुपका रहा , कम से कम 2-.5 लीटर तो आराम से पिया होगा | में सिर्फ उसका सर सहला रहे थी , जैसे मेरे अपना बच्चा मेरा दूध पी रहा हो |
मेरे बाये स्तन को १५ मिनिट तक लगातार चूसने के बाद उसने अपना मुह हटा लिया, शाएद उसका पेट भर गया था | मेरे नीपाल से उसका जबड़ा हटा तो मैंने देखा के उसके डाट गाड़ने के निशाँ अभी बी मेरे सफ़ेद स्तन पे नज़र आरहे थी और मेरे चूची बिल्कुल लाल हो गयी थी | कुछ देर बाद उसमे टीसन शुरू हो गए , साले ने दूध पिने के चक्कर में कस कस के दबाया था , आखिर है तो कुत्ता हे ना , अपनी भूक मिटने के लिया अपनी माँ को बी काट खाए | अब मेरा बाया स्तन कुछ हल्का महसूस हो रहा था मुझे |
उठ कर मैंने अपनी ब्रा और बलाउस पहना |
अब वो कुत्ता मेरे टांगो के पास आके बैठ गया | जैसे उसने मुझे अपनी माँ मान लिया हो और दूध पिलाने के लिया शुक्रिया कर रहा हो | मैंने बी उसके सर पे थप्पी मारी और फिर उससे बोला
" माँ ने तो तेरी सेवा कर दे ..अब तू माँ के सेवा कब करेगा ...मेरे लाल "
जब मैंने थप्पी मारी तो मेरे हाथ को चाटने लगा और अपनी हे भाषा में कू कू करके कुछ कहने लगा
"अरे अब क्या चायेया तुझे ..पेट तो भर लिया ..अब क्या खातिर करू तेरी "
मुझे कुछ देर बाद याद आया ..कल जब वो कुत्ते उस कुतिया को चौद रहे थे तो यह वाला ससे पीछे था और इसके चरने से पहले हे वो कुतिया भाग गयी थी |
शयेद यह इसलेय हे उदास सा था ..फिर मैंने उससे बोला
" क्यों रे ..कल तुजे नहीं मिली वो कुतिया इसलेय उदास है "
"चल कोई बात नहीं..वो कुतिया नहीं तो क्या हुआ ..तेरे पास एक चुडैल माँ जो है..हाहा .."
फिर वो कू कू करने लगा जैसे बोल रहा हो के मुझे तो कुतिया हे चायेया ...
"अरे पगले कुतिया क्या खुश कर पायेगी तुजे ..तेरे ख्याल एक माँ से अच्छा कोई नहीं रख सकता "
"बोल बोल रे ...क्या करवाना है तुजे ..हम्म अपनी माँ को भी अपनी गर्मी दिखा "
"कितने सालो से तेरे माँ प्यासी है ...उसके प्यास बुझा दे ..तुझे दिन रात दूध पिलाउनगी "
"कू कू ..भो भो .."
इतना कहकर मैंने उसके ठीक साने जाके ज़मीन पर बैठ गयी , और अपनी सारे घुटने तक ऊपर कर ली |
फिर उसके सामने अपनी दोनों टाँगे फैला दी , पंटी तो मैंने पहले हे उसे अपनी महक सूघने के लिया उतार दे थी |
उसके खुले हुए मुह के सामने मेरे सुर्ख लाल यावनी धीरे धीरे खुलने लगी | मेरे यावनी के चारो तरफ घने बाल थे ,लम्बे लम्बे , अगर में कच्ची के अंडर उन्हें ना समेटू तो मेरे जांघो तक लटक जाए |उस काले घने जंगले के बीच मेरे यावनी के लाल कोपले उस कुत्ते को बहुत आकर्षर लग रहे होंगी | एक मिनट के लिया मुझे लगा उसके खुले मू से जो जीभ लटक रहे थी , और उसपर जो उसका थूक टपक रहा था वो मेरे यावनी को देख के आया था | यह सोच के मेरे यावनी फूलने लगी , उसकी दीवारे अंडर ही आपस में टकराकर रगड़ने लगी और वो किसी मुह के भाति अपने आप हे खुलने बंद होने लगी जैसे के किसी चीज़ को चूस रहे हो | औरत के यावनी ऐसे तभी होती है जब उसे एक बलिस्ट मरदाना लुंड के प्यास हो | ऐसे समाया पर औरत को ऐसे मर्द के ज़रुरत होती है जो उसे बेरहमी से कस कस के
चौदे |
बहराल उस कुत्ते के सामने उसके माँ अपनी यावनी खोल के बैठी थी और उसे पास बुला रहे थी |
एक सहमति हुए लाल चीज़ को देख कर उसका कुछ आकर्षण भाडा और वो अपना मू सूघ्ता हुआ मेरी जांघो के पास ले आया
वोह मेरे जांघो को सूंघ रहा था उनपर मुझे उसकी गीली नाक रगड़ते हुए महसूस हो रही थी |
कभी कभी जीभ बहार आजाती और मेरी जांघो पर फेर देता , धीरे धीरे वो मेरी जागहि चाटते - हुए मेरी योनि की तरफ भड़ रहा था , रह रह के उसकी लम्बी लप लपती जीभ मेरी योनी के बालो को छुते
हुआ निकल जाती | मेरी धड़कन भरद रही थी , के कब वो काटेदार जीभ मेरी योनी का स्वाद चखेगी , में यह सब सोच हे रहे थी के अचानक मुझे कुछ गीली चीच्ज़ अपनी योनी के कोपलो को चीर कर उंदर घुसती हुई महसूस हुई | मेरे होश का धिकाना रहा , में तो सोच रही थी उसकी जीभ मेरी कोपलो को सिर्फ चतागी , पर वो तो सीधा मेरी योनी के उंदर अपनी जीभ फस दी | मेरी योनी वैसे हे कसमसा रही थी , जैसे ही उसे कुछ मिला उसने झट उसकी जीभ को अपनी दीवारों के बीच पकड़ क्या , एक तरीके से उस कुत्ते के जीभ मेरी योनी ने पकड़ ली चाँद सेकंडो के लिया |वो कुत्ता घबरा गया और अपना मुह पीछे करने लगा | फिर मुझे अपने हाथ भरा के उसके सर को पुचकारना पड़ा
"अरे क्या हुआ मेरे लाल ...क्यों डर रहा है ...यह तो तेरी माँ के प्यार करने का तरीका है "
"डर मत ..कुछ नहीं करुँगी तेरे जीभ को में....स्स्स्स ..थोरी सी मालिश चायेया तेरी माँ को ..कर दे ना मेरे लाल .."
इतना पुचकारने के बाद उसका मान कुछ हल्का हुआ और वो फिर मेरी तरफ भरने लगा |
अब उसके इरादों में कुछ मर्दानगी नज़र आरेही थी | अब की बार उसने सीधा मेरी योनी पर हमला किया
और झट अपनी लप लपती जीभ निकाल के मेरी चुटकी को निचे से ऊपर तक लम्बा लम्बा चाटने लगा |
मेरी सिसकारी निकल गयी , ऐसा लग रहा था जैसे कोई मेरी योनी को लोहे के ब्रुश से झार रहा हो |
उसके हर चाट पर मेरी कमर उचक जाती | में फिर बी किसी तरह डटी हुई थी , अपने आपको बिलकुल पीछे नहीं हटने दीया | कम से कम उसने मेरी नाज़ुक कोपलो १००-२०० बार बुरी तरह चाता होगा |
इतना चाटने के बाद उसका ध्यान वह से हट गया और वो इधर उधर घूमने लगा | में अपना दिल थाम के अपनी योनी के तरफ झाका , योनी के चारो तरफ के बाल उसके थूक से बिलकुल गीले होके आपस में चुपक गए थे और मेरी योनी से उसका थूक ताप ताप करके टपक रहा था | योनी के हालत बहुत ख़राब थी , उसकी कोपले पिंक से लाल पद चुकी थी और बहुत जल रही थी |
"शैतान बच्चे ...देख तुने अपनी माँ के क्या हालत कर दी "
"देख तुझे इसके कैसे सजा देती हूँ .."
में उसे चिड़ाते हुए डाट रही थी जबकि मुझे यह सब सातवे असं पे ले गया था , मैंने इस चक्कर में ध्यान नहीं दीया के उसकी टांगो के बीच उसका अंग अपने खोल से बहार निकल आया था और मेरे सामने लटक कर्र इधर उधर झूल रहा था , रह रह के उसके अंग में कदक्पन आता और वो थोरा ऊपर उचक जाता | में वो देख के बड़ी हे उत्तेजित हो गयी , के देखो में आज बी किसी भी मर्द को उत्तेजित कर सकती हूँ , भलेही वो एक कुत्ता क्यों हो |
उसका लिंग अभी ढीला था फिर भी करीब 5 इंच निकल हुआ था , मैंने सोचा अगर यह अभी इन्चा का है तो पूरा मस्त होने पर तो - से कम नहीं होगा | ऐसा सोच के हे मेरे योनी गीली होनी शुरू हो गयी | अब मुझे दुनिया में और कुछ नहीं चयिया था | मेरा मकसद इस इंच के लिंग को किसी तरह इन्चा का सांड बनाना था |
मेरी धेरे धेरे उसके लटकते हुए लिंग के पास गयी , और कापते हुए हाथो से उसके लाल लिंग को छुआ |
बड़ा हे गरम गीला और कोमल था | मैंने सोचा ये कोमल लिंग मेरी प्यास क्या भुझायेगा | मेरे चूने भर से वो अपनी टांग उठा के मेरे हाथ को दूर करने लगा | में समझ गयी के उसे इस के आदत नहीं है | फिर मैंने उसके पीठ को एक हाथ से सहलाया और दुसरे हाथ से धीरे से उसके लिंग के ऊपर के खोल को अपनी मुट्ठी में हलके से बाँध लिया | अब उसके लिंग के जड़ मेरी मुट्ठी में कैद थी , वो उसे चाहकर भी नहीं चुरा सकता था | फिर हलके हलके मैंने उसके खोल को अपनी मुट्ठी में सहलाना शुरू किया | मेरे हलके हलके सहलाने से मैंने देखा के उसका लिंग अब भडाने लगा था | वो और मोटा और लम्बा बनता जा रहा था , जो अभी थोरे देर पहले कोमल से कली थी वो अब थीरे थीरे मूसल का आकर ले रहा था | मेरी धड़कन भाद गयी | फिर बी मैंने उसे सहलाना बंद नहीं किया | कुछ हे देर बाद वो इंच से भाद कर इंच का मोटा ताज़ा लुंड बन गया था | मेरे मू में उसको देख कर पानी आगया , मेरी जीभ उसे चाटने के लिया खुद बी खुद लप लापने लगी | मैंने अपने मू के पानी को - बार गटका , एक कुत्ते का लिंग चूसने के लिया मेरा मन गवारा नहीं कर्र रहा था , रह रह कर मेरी नज़र उस हुमकते हुआ लिंग पर पद रही थी जिसकी नोक पर से कुछ बूंदे बी टपक रही थी | मेरे सामने इतने सालो के बाद कोई मरदाना लिंग लटक रहा था , और में अपनी मर्यादाओ के वजह से उसे उसका हक नहीं दे पा रही थी | क्यों एक औरत को हे हमेशा बलिदान देना होता है , औरत क्यों नहीं अपने मन के कर सकती | आखिर उसके बी इच्छायेया हैं , यह सोच कर मेरा मन बदला और मेरा हाथ जो उस लुंग के जड़ को अभी तक सहला रहा था उसे खुद बी खुद धीरे धीरे मेरे मुह के तरफ मोड़ने लगा , जैसे मानो कह रहा हो सुनीता तोड़ दे सारे मरेयादाये , कर ले अपने मन की | उस लिंग के नोक ठीक मेरे होठो के तरफ तन के खदे  थी | मानो मुझ से कह रही हो , माँ मुझे तेरे प्यार के ज़रुरत है |

 फिर डरते हुआ अपना मुह उस कापते हुआ लिंग के पास ले गयी और उसे बिलकुल करीब से देखने लगी | उस लिंग पर अब काफी नसे उभर आई थी और वो आगे के तरफ से कुछ फूला हुआ था | उसकी नोक पर धीरे धीरे एक सफ़ेद बूँद बन रही थी , वो बूँद अब बड़ी होती जा रही थी और बस गिरने हे वाली थी , पता नहीं मुझे क्या हुआ , अचानक हे मैंने अपनी जीभ निकाली और उस बूँद को उसकी नोक पर से चाट लिया , मुझे खुद को बी यकीन नहीं हुआ के मैंने ऐसा क्tया | उस का स्वाद बहुत तेज़ और नमकीन था कुछ अजीब सा | उसका स्वाद लेके मेरे मू में पानी भाद गया , और मेरी हिमात भी | अब मैंने अपना मुह पूरा चौडा खोला जैसे के एक हे बार में पूरा लिंग निगल जाउंगी | और उसके आधे लिंग को नोक समेत अपने मुह के अंडर बंद कर लिया | मेरे होठ उसके लिंग के चारो तरफ कस गए , मेरी जीभ अपनी आप उसके लिंग की नोक को मुह के अंडर हे चाटने लगी | में जैसे हे उसकी नोक को अपनी जीभ से चाटताटी
वो कुत्ता कू कू करके बिलबिलाने लगता , मुझे बड़ा मज़ा आता उसे बिलबिलाता देख | आज मेरे मुराद पूरी हो गयी , एक बलिष्ट लिंग को चाटने का मौका मिला , मेरी जीभ 

No comments:

Post a Comment